MRP-375
प्रगतिवादी काव्यधारा के कवि केदारनाथ अग्रवाल की कविताएँ पूर्णतः मानवीय बोध की कविताएँ हैं। यह मानवीय बोध इतना विराट है कि इसमें समस्त जीवन, प्रकृति और व्यापक मानवीय चेतना समाहित है। इनकी कविताओं में लोक-जीवन के रंग की पड़ताल वस्तुतः उनके काव्य-संसार में प्रवेश कर आत्मतत्त्व को प्रकाशित करने का प्रयत्न है। इनकी प्रकाशित- युग की गंगा (1947), नींद के बादल (1947), लोक और आलोक (1957), फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965), कहें केदार खरी-खरी (1983 सं० अशोक त्रिपाठी), जमनु जल तुम ( 1984 सं० अशोक त्रिपाठी), आदि दसाधिक कृतियों में आम आदमी के जीवन की विविधता जिस प्रकार रूपायित हुई है, उसे देखकर यह शोधपरक दृष्टि बन पाई है कि कवि ने लोक-जीवन के रंगों का सर्वाधिक चमकदार पक्ष प्रस्तुत किया है। कवि केदार के संदर्भ में यह बात आम है कि उनकी कविता जीवन के भीतर के स्पन्दन की कथा है। मूर्त हो या अमूर्त, जीव हो या जगत् पता नहीं किस स्रोत से कवि उनके भीतर की धड़कन को ढूँढ़ निकालता है और फिर अपनी कविता रूपी चाक पर विविध आकृतियों के पात्र गढ़ते चले जाते हैं। इनकी कविताओं में पात्र अपने नाम के साथ नहीं बल्कि अपने वर्ग के साथ, सामूहिकता - बोध का गर्व धारण कर उपस्थित होते हैं। वे चेतना का पूंज बनकर नव-निर्माण की दिशा तय करते हैं। केन कूल की मिट्टी की सोंधी खुशबू बिखेरती इनकी कविताएँ लोकजीवन के विराट दृश्य को भी बखूबी उकेरती है। जो जीवन की धूल चाटकर बड़ा हुआ है' उनकी कविता का एक-एक कण जीवन के मटमैलेपन को रेखांकित करता है।
ग्रंथ-सूची
1. अग्रवाल, केदारनाथ : 'गुलमेंहदी परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद, 1978
2.अग्रवाल, केदारनाथ : 'फूल नहीं रंग बोलते हैं, साहित्य भंडार,इलाहाबाद, 2009
3.अग्रवाल, केदारनाथ: पंख और पतवार, परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद, 1979
4. अग्रवाल, केदारनाथ 'आग का आईना, परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद, 1970
5. अग्रवाल, केदारनाथ : 'हे मेरी तुम', परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद, 1981
6. अग्रवाल, केदारनाथ 'आत्मगंध', परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद, 1999
7.अग्रवाल, केदारनाथ : 'खुली आँखें खुले डैने, साहित्य भंडार,इलाहाबाद, 2009
8. अग्रवाल, केदारनाथ 'अनहारी हरियाली, साहित्य भण्डार, इलाहाबाद, 2009
9. अग्रवाल, केदारनाथ : 'मांझी न बजाओ बंशी', सं. ओम निश्चल, किताबघर प्रकाशन, दिल्ली, 2016
10. अग्रवाल, केदारनाथ (सं.): 'नींद के बादल', 'गुलमेंहदी' परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद, 1978
11. अग्रवाल, केदारनाथ 'युग की गंगा', परिमल प्रकाश, इलाहाबाद
सहायक ग्रंथ :
1 अशेरी, डॉ अतिया केदारनाथ अग्रवाल का काव्य संसार गरिमा प्रकाशन, कानपुर, 2015
2-तिवारी, डॉ. अजय (संपा.)केदारनाथ अग्रवाल परिमल केदारनाथ अग्रवाल परिमल केदारनाथ अग्रवाल परिमल
3-तिवारी, अजय प्रगतिशील कविता के सौन्दर्य-मूल्य परिमल प्रकाशन, इलाहाबाद, 1984 3
4 दईया पीयूष (स.) लोक, भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर, राजस्थान, 2002
5. पुण्डरीक, नरेंद्र (स.) मेरे साक्षात्कार-केदारनाथ अग्रवाल, किताबघर प्रकाशन, दिल्ली, 2009
6. बिष्ट, प्रताप सिंह (सं.) आजकल प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, दिल्ली, अप्रैल, 1995
7-मधुछंदा: श्रम का सौन्दर्यशास्त्र और केदारनाथ अग्रवाल का केदारनाथ अग्रवाल परिमल
प्रकाशन, इलाहाबाद, 1992
8. हंस, कृष्णलाल प्रगतिवादी काव्य साहित्य मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल, 1971
9. शर्मा, रामविलास प्रगतिशील काव्यधारा और केदारनाथ अग्रवाल परिमल प्रकाशन, इलाहाब…
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